इस प्रकार अभिविन्यस्त होती है कि पारेषक के साथ उसका सीधा युग्मन न्यूनतम हो और तब अवशिष्ट प्रभाव पृथ्वी में प्रेरित धाराओं के कारण होते हों।
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ग्राही कुंडली प्राय: इस प्रकार अभिविन्यस्त होती है कि पारेषक के साथ उसका सीधा युग्मन न्यूनतम हो और तब अवशिष्ट प्रभाव पृथ्वी में प्रेरित धाराओं के कारण होते हों।